गुप्त नवरातों में रोज़ मां की पूजा कैसे करें | gupt navratri puja vidhi

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By sadhana

गुप्त नवरात्रि 2023 पूजा विधि: गुप्त नवरातों में रोज़ मां की पूजा कैसे करें ? पूजा साधना के बाद जरूर करें ये 1 काम, मिलेगा गुप्त फल

ज्योतिष लोग हमेशा ही कहते आए हैं कि गुप्त नवरात्रि व्यक्ति को मौका देता है कि वह इन नौ दिनों में मां दुर्गा को प्रसन्न कर धन, संपत्ति एवं सब ऐश्वर्य को प्राप्त करें। इस अवसर को खास बनाने हेतु आप मां की प्रतिमा पर कमल का फूल अर्पित कर सकते हैं। अब सवाल उठता है कि कमल का फूल ही क्यों? दरअसल कमल का फूल मां लक्ष्मी का प्रतीक है और यह उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्रकट करने का एक चिह्न माना जाता है। यह कार्य धन और संपत्ति की वृद्धि के लिए किया जाता है।

इसके अतिरिक्त गुप्त नवरात्रि में रोज़ पूजा के दौरान मां दुर्गा को श्रृंगार सामग्री अर्पित करना भी महत्वपूर्ण है। श्रृंगार सामग्री में आप पुष्प, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, अभिषेक सामग्री, ज्वेलरी आदि का उपयोग कर सकते हैं। यह कार्य आपकी भक्ति और समर्पण को प्रदर्शित करता है और मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करता है।

इन सबके अतिरिक्त आप निम्न पूजा विधि का निष्ठा से पालन कर सकते हैं:-

अर्गला स्तोत्र का पाठ

गुप्त नवरात्रि के पूजन के दौरान अर्गला स्तोत्र (Argala Stotram) का पाठ करना चाहिए। अर्गला स्तोत्र मां दुर्गा की स्तुति का एक महत्वपूर्ण पाठ है जो उनकी कृपा को प्राप्त करने में सहायता करता है। इस स्तोत्र के द्वारा भक्त मां दुर्गा के गुणों, महिमा और महाशक्ति का आदर्श वर्णन करते हैं। इसके द्वारा आप अपनी भक्ति, समर्पण और आदर्शों को प्रदर्शित कर सकते हैं और मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।

अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से पहले, आपको इसे ध्यान से पढ़ना और समझना चाहिए। सचमुच, अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से आप मां दुर्गा के प्रति अपना आभार व्यक्त कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

नौ फूल अवश्य अर्पित करें

गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को रोजाना नौ लाल या पीले रंग के फूल अर्पित करना एक प्रचलित प्रथा है। यह फूलों की अर्पण से भक्त अपनी भक्ति और समर्पण को प्रकट करते हैं और मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करते हैं।

नौ रंगों के फूल विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे गुलाब, जस्मीन, मरीगोल्ड, कनेर, अशोक, चमेली, राजनीगंधा, पंचमूली और कुछ अन्य। ये फूल शुभता, सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। आप अपनी प्राथमिकतानुसार लाल या पीले रंग के फूल चुन सकते हैं और उन्हें पूजा स्थल पर अर्पित कर सकते हैं।

16 श्रृंगार का भेंट

गुप्त नवरात्रि में 16 श्रृंगार का भेंट देने की परंपरा है, जिसमें मां दुर्गा को विभिन्न श्रृंगारिक आभूषणों और सामग्री से सजाया जाता है। यह श्रृंगारिक आभूषणों का समूह उनकी महिमा, सौंदर्य और महाशक्ति को प्रकट करने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से भक्त अपनी भक्ति और समर्पण को प्रकट करते हैं और मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करते हैं।

16 श्रृंगार में शामिल हो सकते हैं

1. मुकुट (Crown): एक प्रतीक राजसत्ता और महिमा का।

2. कंघी (Hairpin): मां के लंबे बालों को सुंदर ढंग से सजाने के लिए।

3. माला (Necklace): मां के गर्दन को सजाने के लिए।

4. चूड़ी (Bangles): हाथों को सजाने के लिए।

5. बजुबंद (Armlet): बांहों को सजाने के लिए।

6. कमरबंद (Waistband): कमर को सजाने के लिए।

7. पादांक (Anklets): पैरों को सजाने के लिए।

8. हाथफूल (Hand Ornament): हाथों को सजाने के लिए।

9. नोग (Nose Ring): नाक को सजाने के लिए।

10. नग (Finger Ring): उंगलियों को सजाने के लिए।

11. काजल (Kohl): आंखों को सजाने के लिए।

12. श्रीफलक (Forehead Ornament): माथे को सजाने के लिए।

13. पायल (Ankle Bells): पैरों को सजाने के लिए।

14. बाजुबंद (Arm Band): बांहों को सजाने के लिए।

15. अंगूठी (Toe Ring): पैरों की अंगूठियों को सजाने के लिए।

16. बिछिया (Ankle Bracelet): पैरों को सजाने के लिए।

दुर्गा सप्तशती का पाठ

गुप्त नवरात्रि और दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी दुर्गा की पूजा और अराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दुर्गा सप्तशती, या दुर्गा सप्तशती स्तोत्र, मार्कण्डेय पुराण में प्रमुखतः समर्पित है और इसमें मां दुर्गा की महिमा, कथा और गुणों का वर्णन किया गया है। इसे गुप्त नवरात्रि में पठने का महत्व विशेष रूप से माना जाता है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए आपको पहले उसकी पाठ विधि और नियमों को समझना चाहिए। आप इसे स्वयं पठने के बारे में अनभ्यास हैं, तो आप एक पंडित या धार्मिक गुरु से मार्गदर्शन ले सकते हैं। दुर्गा सप्तशती के पाठ का सर्वाधिक प्रभावशाली और उच्चारणीय तरीका त्रिपुर सुन्दरी महाकाव्य (त्रिपुर सुन्दरी स्तोत्र) का पाठ होता है। इसे शुभ मुहूर्त में, शुद्ध मनस्थिति में, एकाग्रता के साथ और पूजा-अराधना के साथ पठना चाहिए।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से आप मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और आपकी समस्त बाधाओं और दुःखों का नाश हो सकता है। यह आपको सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और आनंद की प्राप्ति में मदद कर सकता है और आपकी आत्मिक एवं मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।

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