गुप्त नवरात्रि 2023 | आसान उपायों से जागृत करे मैया रानी को | आषाढ़ गुप्त नवरात्र 2023 #navratri
गुप्त नवरात्रि में 10 दिव्य स्वरूपों की पूजा द्वादशी तिथि से शुरू होती है और गुप्त नवरात्रि के दसवें दिन को समाप्त होती है। यहां निम्नलिखित हैं इन 10 दिव्य स्वरूपों के नाम:
1. शैलपुत्री: पहले दिव्य स्वरूप मां दुर्गा का नाम शैलपुत्री है। इसकी पूजा में उसके रूप में श्वेत वस्त्र और मुकुट पहनाया जाता है।
2. ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिव्य स्वरूप का नाम ब्रह्मचारिणी है। इसकी पूजा में उसके रूप में कटिभूषण और कमण्डलु धारण किए जाते हैं।
3. चंद्रघंटा: तीसरे दिव्य स्वरूप का नाम चंद्रघंटा है। इसकी पूजा में उसके रूप में हेमवर्ण वस्त्र, चंद्रमा और कमण्डलु होते हैं।
4. कूष्माण्डा: चौथे दिव्य स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। इसकी पूजा में उसके रूप में विभूषणों से भरी पांच मुखी मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
5. स्कंदमाता: पांचवें दिव्य स्वरूप का नाम स्कंदमाता है। इसकी पूजा में उसके रूप में बाल रूप में बच्चे को गोदी में लेती मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
6. कात्यायनी: छठे दिव्य स्वरूप का नाम कात्यायनी है। इसकी पूजा में उसके रूप में श्रीफल और चंद्रमा स्थापित किए जाते हैं।
7. कालरात्रि: सातवें दिव्य स्वरूप का नाम कालरात्रि है। इसकी पूजा में उसके रूप में भयंकर और क्रूर रूप में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
8. महागौरी: आठवें दिव्य स्वरूप का नाम महागौरी है। इसकी पूजा में उसके रूप में दिव्य सफेद वस्त्र और ध्वजा धारण की जाती है।
9. सिद्धिदात्री: नवमे दिव्य स्वरूप का नाम सिद्धिदात्री है। इसकी पूजा में उसके रूप में शंख, चक्र, गदा और पद्म होते हैं।
10. स्कंदमाता: दसवें दिव्य स्वरूप का नाम स्कंदमाता है, जो पहले दिन की देवी कात्यायनी की पुत्री हैं। इसकी पूजा में उसके रूप में बाल रूप में बच्चे को गोदी में लेती हुई प्रतिमा स्थापित की जाती है।
ये दस दिव्य स्वरूप मां दुर्गा की पूजा और उपासना के दौरान प्राथमिकता होते हैं। भक्तजन इनके दर्शन, पूजा और अर्चना के द्वारा मां दुर्गा का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करते हैं।
शादी में आने वाला विघ्न भी होगा दूर
यह विश्वास किया जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान स्नान और ध्यान करने के बाद मां पार्वती को सिंदूर अर्पित करने से विवाह में आ रही बाधा को दूर किया जा सकता है। यह एक प्राचीन परंपरा है जिसमें विश्वास रखा जाता है कि मां पार्वती की कृपा से विवाह संबंधित समस्याओं का निवारण हो सकता है।
सिंदूर को मां पार्वती को अर्पित करने से पहले, आपको गुप्त नवरात्रि के दौरान स्नान और ध्यान करना चाहिए। ध्यान करते समय, आपको मां पार्वती की कृपा और आशीर्वाद के लिए विवाह संबंधित संकल्प भी कर सकते हैं। इसके बाद, आपको सिंदूर को अपने भक्तिभाव से पूजा स्थल पर अर्पित करना चाहिए, मां पार्वती को विवाह की कामना करते हुए।
यह एक आध्यात्मिक और धार्मिक आचरण है और इसे आप अपने विश्वास और आस्था के संदर्भ में कर सकते हैं। इसके बावजूद, विवाह संबंधित मुद्दों का निवारण और विवाह में समृद्धि के लिए, आपको भी व्यक्तिगत स्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए, जैसे कि कर्म, संबंधों की देखभाल, अनुकूलता, संवाद आदि।