गुप्त नवरात्रि 2023 अष्टमी कब है? गुप्त नवरात्रि 2023 तारीख और समय
चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान माता के नौ रूपों की पूजा करना माता के प्रति अपना विशेष आभार व्यक्त करने का एक प्रमुख तरीका है। यह पूजा माता की महिमा और शक्ति को मान्यता के साथ दर्शाती है।
इस पूजा में नौ दिन तक रोज़ाना एक रूप की पूजा की जाती है, जिसमें माता की आराधना और भक्ति की व्यक्ति की जाती है। इन रूपों के नाम हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
यह पूजा माता के प्रति आभार व्यक्त करने के साथ ही माता के दिव्य रूपों की प्रतिष्ठा का भी एक अवसर है। यह पूजा भक्तों को माता के आग्रह को प्राप्त करने, उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करती है। इसके अलावा, यह एक समाजिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में भी मान्यता प्राप्त है, जिसमें लोग एकजुट होकर आपस में मित्रता और उल्लास का अनुभव करते हैं।
इस पूजा को धार्मिक और सामाजिक दोनों आयामों से महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह आपकी भक्ति, समर्पण और आदर्शों को प्रदर्शित करने का एक सुंदर तरीका है।
गुप्त नवरात्रि क्या है?
गुप्त नवरात्रि का अर्थ होता है ‘छिपी हुई’ या ‘गुप्त’ नवरात्रि, जो कि बाकी नवरात्रि उत्सवों से अलग होती है। इस नवरात्रि को साधारणतया गुप्त तिथियों पर मनाया जाता है और इसे अपनी विशेष तपस्या, ध्यान और साधना के लिए समर्पित किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माघ और आषाढ़ महीने में आने वाली नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह नवरात्रि विशेष रूप से तारीखों की मान्यता से छिपी हुई और गोपनीय होती है। यह नवरात्रि माघ और आषाढ़ मास के अंतराल में आती है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इसका महत्व तपस्या, ध्यान और साधना को समर्पित करने के लिए उच्च होता है। इस अवधि में भक्त और साधक माता शक्ति की आराधना और पूजा के माध्यम से अपार शक्ति और ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्रि भक्त और साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रभावी अवसर है जो उन्हें माता की कृपा, आशीर्वाद, और साधना में गहराई का अनुभव करने का मौका प्रदान करता है।
इसका महत्व भक्त और साधकों के लिए उच्च होता है और इन महाविद्याओं की पूजा एक आदर्श उपाय है जो भक्त को माता की अपार शक्ति के आशीर्वाद से युक्त करता है।
मां दुर्गा के अवतार काली, तारा, शोभा, भुवनेश्वरी, चिन्मस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला। इन महाविद्याओं की पूजा और जाप गुप्त नवरात्रि में की जाती है। माता शक्ति के विभिन्न आविर्भावों की प्राप्ति और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद मिलती है।
कब है गुप्त नवरात्रि 2023?
ज्योतिष शास्त्र के गणना अनुसार इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 19 जूलाई को होने वाली है। यह नवरात्रि 27 जूलाई को खत्म होगा।
घट स्थापना की तिथि:-
19 तारीख की सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक आप घट स्थापित कर सकते हैं।