आषाढ़ अमावस्या 2023: हलहारिणी/ शनि अमावस्या कब है | जानें, तिथि मुहूर्त और शनि अमावस्या का महत्व
इस वर्ष अमावस्या की तिथि का समय 17 जून, सुबह 9:12 से 18 जून सुबह 10:07 तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा के उगने का समय 5:26 मिनट होगा और चंद्रमा के डूबने का समय 7:39 होगा।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करे
आषाढ़ महीने की अमावस्या को पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पूर्वजों की पूजा की जाती है | आषाढ़ मास की अमावस्या को खेती करने वाले उपकरण जैसे हर और बाकी औजारों की भी पूजा होती है |
इस अमावस्या को हलधारणी अमावस्या भी कहा जाता है |
किसानों के लिए यह अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है | आषाढ़ अमावस्या को किसान पूरे विधियों की मदद से अपने हल की पूजा करते हैं | किसान वर्षा देवता से अर्थात वरुण देवता से अपनी अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं | सूर्य को सुबह जल देने से सूर्य देवी प्रसन्न होते हैं।
अच्छी फसल के लिए पूजा
पितरों को प्रसन्न करने के लिए आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र जल में स्नान करके, उन्हें जल अर्पण किया जाता है | ऐसा करने से खेतों में बहुत अच्छे फसल की उपज होती है, और किसानों को वरुण देवता का आशीर्वाद मिलता है | सिंचाई के सीमित साधन होने की वजह से आषाढ़ अमावस्या के दिन यज्ञ करने से फसलों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है, और ना ही पानी की कमी होती है।
इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या 18 जून को मनाई जाएगी | आइए जानते हैं, आषाढ़ अमावस्या का महत्व और पूजा करने की विधि।
अमावस्या की पूजा और महत्व
अमावस्या के दिन बहुत सारे लोग अपने पितरों को खुश रखने के लिए उनके श्राद्ध कर्म करवाते हैं | इस दिन पित्र तर्पण नदी में स्नान और दान में पूर्ण करना शुभ और फलदाई माना जाता है | यह तिथि पित्र दोष से मुक्ति दिलाने में भी मदद करती है।
आषाढ़ अमावस्या का यज्ञ कैसे करें
आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने और वरुण देवता को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ और पूजा पाठ की जाती है | आषाढ़ अमावस्या पर आस्था, निर्मल मन से, श्राद्ध कर्म करने से, माता पिता और गुरु की कृपा मिलती है | यदि वेदों की माने तो इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने से माता पिता और गुरु के प्रति सम्मान का भाव उत्पन्न होता है | इससे हमारी आने वाली पीढ़ी अपने माता पिता और गुरुजनों का सम्मान करना सीखेंगी | इस दिन संतान उत्पत्ति के लिए भी यज्ञ किया जाता है
आषाढ़ अमावस्या के नियम
आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए | सूर्य उदय के समय भगवान सूर्य देव को जल अर्पण करना चाहिए | अपने सभी कार्यों से निवृत्त होकर पूजा-पाठ और पितरों को तर्पण करना चाहिए | पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत भी रखा जा सकता है | गरीब और ब्राह्मणों को अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान दक्षिणा देनी चाहिए और उन्हें भोजन भी कराना चाहिए।